दो हजार बीस
एक अर्सा अपने साथ रहा दो हज़ार बीस
अब हो रहा है हमसे जुदा दो हज़ार बीस
इक्कीस अब है वक्त के दर पर खड़ा हुआ
और डायरी की नज्र हुआ दो हज़ार बीस
इसने दिए जो ज़ख्म भुलाए ना जाएंगे
अच्छा हुआ कि छोड़ गया दो हज़ार बीस
यारों ने मुझसे पूछा उदासी का जब सबब
मैंने उन्हें जवाब दिया दो हज़ार बीस
अच्छा था या बुरा था मगर एक बात है
अपना सा हमको लगता रहा दो हज़ार बीस
دو ہزار بیس
اک عرصہ اپنے ساتھ رہا دو ہزار بیس
اب ہو رہا ہے ہم سے جدا دو ہزار بیس
اکیس اب ہے وقت کے در پر کھڑا ہوا
اور ڈائری کی نذر ہوا دو ہزار بیس
اس نے دیئے جو زخم بھلائے نہ جائیں گے
اچھا ہواجو چھوڑ گیا دو ہزار بیس
یاروں نے مجھ سے پوچھا اداسی کا جب سبب
میں نے انہیں جواب دیا دو ہزار بیس
اچھا تھا یا برا تھا مگر ایک بات ہے
اپنا سا ہم کو لگتا رہا دو ہزار بیس
ایم آر چشتی