Friday, 12 February 2021

اب ‏مسکراہٹوں ‏کا ‏بہانہ ‏کویی ‏نہیں

 میں ایسا شخص جس کا ٹھکانہ کوئی نہیں 
اب مسکراہٹوں کا بہانہ کوئی نہیں 

ہاتھوں میں لے کے تیر کماں آگیا ہوں میں 
یہ اور بات میرا نشانہ کوئی نہیں

میں لاکھ دوں سزائیں کروں ظلم بے شمار
ہوتا ہے شہر دل سے روانہ کوئی نہیں

بدلے ہیں لوگ یا میری قسمت بدل گئی
بدلا ہوں میں یا بدلا زمانہ، کوئی نہیں

ہونا تھا دور مجھ کو کسی سے تو ہوگیا
اب دوست میرے لب پہ بہانہ کوئی نہیں


मैं ऐसा शख्स जिसका ठिकाना कोई नहीं
अब मुस्कराहटों का बहाना कोई नहीं

हाथों में लेके तीर कमाँ आ गया हूं मैं
ये और बात मेरा निशाना कोई नहीं

मैं लाख दूँ सजाएँ करूँ ज़ुल्म बेशुमार
होता है शहर ए दिल से रवाना कोई नहीं

बदले हैं लोग या मेरी किस्मत बदल गई
बदला हूं मैं या बदला ज़माना, कोई नहीं

होना था दूर मुझको किसी से तो हो गया
अब दोस्त मेरे लब पे बहाना कोई नहीं

ये जो मुहब्बतों की हज़ारों किताबें है
अफसोस इनमे मेरा फ़साना कोई नहीं

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