Friday, 19 May 2017

🌹🌹🌹 ग़ज़ल 🌹🌹🌹


इस ज़िन्दगी में हम भी अजब काम कर गए
दुश्वार थी जो राह उसी राह पर गए

कुछ ख़्वाब थे जो आँखों में सोए ही रह गए
कुछ फूल थे जो वक्त से पहले बिखर गए

मैं राहे ज़िन्दगी में अकेला खड़ा रहा
जो मेरे हमसफ़र थे सभी अपने घर गए

इक बार दर्द जो मेरी गुफ़्तगू हुई
कुछ गुमशुदा ख़्याल के चेहरे निखर गए

अफ़सोस वह कहानी का हिस्सा न बन सके
जो लफ़्ज़ बन के सफ़्हा ए दिल पर उतर गए

जब पास थे तो कोई उन्हें पूछता न था
खोए तो सारे शहर को वीरान कर गए

यह किसका गुलिस्तान वफ़ा से गुजर गया
आई बिहार फूल खिले जाम भर गए

🌹🌹🌹एम आर चिश्ती 🌹🌹

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