Wednesday, 25 March 2020

मुझे अब लौट जाना है।
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मेरे हमदम
मेरा साथी
जमीं की गोद से सूरज ने अपना मुंह निकाला है
हसीं किरणों की बारिश से
सेयाही  धुल गयी है
और फिर दुनिया का चेहरा खिल गया है
हवाएँ बन्द दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं
मुझे अब लौट जाना है।।।

उसी गुमनाम घाटी में
जहां सूरज नहीं जाता
सुनो जाना!
वह सपने जो हमारी मिल्कियत थे
उसको अलमारी में तुम रख लो
वह लम्हे जो कभी एक दूसरे के साथ गुजरे थे
सजा देना उसे गुलदान में
अधूरी ख्वाहिशों का एक अलग एल्बम बना लेना
ये आंसु जो मेरे जाने पर तेरी आंखों में आये
इनको उम्मीदों के किसी सूखे हुए गुल पर छिड़क देना
मैं अपने लौट आने के
सभी सभी वादे सभी कस्मों को रख देता हूं अलमारी के एक महफूज़ खाने में
फिर इसको लाक करके
चाभी अपने साथ ले जाउंगा
कि सदियों बाद जब लौटा तो
यह एहसास तो होगा
कि मेरा प्यार सच्चा था
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एम आर चिश्ती

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